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ब्रेकिंग न्यूज़ गोरखपुर

सम्मान समारोह का आयोजन

गोरखपुर आज गोरखपुर 10 अगस्त 2025 को श्री साहित्यिक सेवा संस्थान गोरखपुर के तत्वावधान में आज दिनेश गोरखपुरी द्वारा रचित कर्मफल भावार्थ सहित पुस्तक का लोकार्पण एवं सम्मान समारोह कार्यक्रम प्रेस क्लब में आयोजित हुआ, जिसमें दिनेश गोरखपुरी द्वारा रचित कर्मफल भावार्थ सहित पुस्तक का लोकार्पण एवं सम्मान समारोह का भव्य विमोचन किया गया।

 इस अवसर पर आयोजन की अध्यक्षता कर रहे प्रो0 उपेन्द्र प्रसाद समाज विज्ञानी जी ने कहा कि दिनेश गोरखपुरी के दिनेश गोरखपुरी द्वारा रचित कर्मफल भावार्थ सहित पुस्तक का वैज्ञानिक, आध्यत्मिक एवं धार्मिक बातों को एक साथ गंगा-यमुना तहज़ीब का याद दिलाते हैं। उन्होंने "कर्मफल भावार्थ" विस्तृत विवेचना व समीक्षा करते हुए कहा कि यह आज की सदी की आवश्यकता है जो समाज को नई दिशा प्रदान करेगी।
मुख्य अतिथि के रुप में डा0 रामदरश राय जी ने दिनेश गोरखपुरी जी की रचना उद्धृत करते हुए कहा कि दोनों किताबें समाज के लिए अति महत्वपूर्ण साबित होंगे, इस समय ऐसी रचनात्मक किताबों की ही आवश्यकता है। कवि नन्दलाल मणि त्रिपाठी  जी ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि जिस तरह के विभिन्न स्थानों और दूर-दूर से आये रचनाकारों की उपस्थिति है यह स्वयं बताता है  की कर्मफल भावार्थ सहित पुस्तक कितने उच्च स्तर की हैं।
 विशिष्ट अतिथि के रुप में डा0 संजयन त्रिपाठी जी एवं विशिष्ट अतिथि डा अनिल राय जी, ने कहा कि कर्मफल भावार्थ पुस्तक लोकार्पण केवल एक लेखक का सपना पूरा होना नहीं, बल्कि समाज को नई सोच देने का अवसर है, यह समारोह ज्ञान, संस्कृति और साहित्य के सम्मान का प्रतीक होता है, जिसमें लेखक अपनी रचना के माध्यम से पाठकों के साथ आत्मिक संवाद स्थापित करता है। सम्मान समारोह में प्रतिभाओं को पहचान मिलती है, जो उनके आत्मविश्वास को बढ़ाती है, और ऐसे आयोजन नए लेखकों व रचनाकारों को प्रेरणा प्रदान करते हैं। पुस्तक लोकार्पण समाज में पढ़ने की संस्कृति को प्रोत्साहित करता है, साथ ही लेखक और पाठक के बीच भावनात्मक जुड़ाव को गहरा करता है। सम्मान समारोह समाज को यह संदेश देता है कि सृजन और योगदान की कद्र होती है, और ऐसे कार्यक्रम सांस्कृतिक विरासत व साहित्यिक परंपराओं को संजोने का माध्यम बनते हैं। इस प्रकार पुस्तक लोकार्पण और सम्मान समारोह मिलकर ज्ञान और प्रेरणा का सुंदर संगम रचते हैं।

2भोजपुरी माटी के महक लोकगायक श्री राकेश श्रीवास्तव जी ने कर्मफल भावार्थ पुस्तक लोकार्पण के पर उन्होंने कहा कि कर्मफल भावार्थ आध्यात्मिक एवं धार्मिकता को छूते हुए सनातन के तरफ ले जाती हैं जो समाज पर अपनी छाप छोड़ती हैं।
इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि श्री उद्भव मिश्रा जी, डॉ चतुरानन मिश्रा जी, डॉ ओमप्रकाश शुक्ला एवं डॉ विवेकानंद उपाध्याय जी ने पुस्तक लोकार्पण समाज में पढ़ने की संस्कृति को प्रोत्साहित करता है, साथ ही लेखक और पाठक के बीच भावनात्मक जुड़ाव को गहरा करता है। सम्मान समारोह समाज को यह संदेश देता है कि सृजन और योगदान की कद्र होती है, और ऐसे कार्यक्रम सांस्कृतिक विरासत व साहित्यिक परंपराओं को संजोने का माध्यम बनते हैं।
कवि श्री नन्दलाल मणि त्रिपाठी पिताम्बर जो श्री दीप साहित्यिक सेवा संस्थान गोरखपुर के रा. संरक्षक के तत्वावधान में आज दिनेश गोरखपुरी द्वारा रचित कर्मफल भावार्थ सहित पुस्तक का लोकार्पण एवं सम्मान समारोह कार्यक्रम में आये हुए सभी मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रकाश डाला और कहा कि कर्मफल भावार्थ पुस्तक जीवन मुल्यों की नैतिकता के लिए युद्ध भूमि कुरुक्षेत्र में गीता का ज्ञान निष्काम कर्म का सिद्धांत लेकर दृष्टिकोण डालती है।
  डॉ अमिताभ पाण्डेय जी ने शानदार संचालन करते हुए श्री दीप साहित्यिक सेवा संस्थान गोरखपुर के तत्वावधान में आज दिनेश गोरखपुरी द्वारा रचित कर्मफल भावार्थ सहित पुस्तक का लोकार्पण एवं सम्मान समारोह कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कर्मफल भावार्थ को आध्यात्मिकता से जोड़ते हुए नर एवं नारायण के माध्यम से मानवीय समस्याओं को चुनौती देते हुए दिखाई पड़ती है।
         मां वीणापाणि के पूजनोपरांत दीप प्रज्वलन कर, मां वीणापाणि की वन्दना कवियत्री वन्दना सूर्यवंशी जी ने की इसके साथ ही कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ। जिसमें चन्द्रगुप्त प्रसाद वर्मा अकिंचन, डॉ आर के राय अभिज्ञं, डॉ अमिताभ पाण्डेय, महेंद्र भट्ट, अजय शंकर श्रीवास्तव कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे।
         इस अवसर पर उदीयमान कवि गणों आदित्य साहित्य सम्मान भी दिया गया जिसमें चन्द्रगुप्त प्रसाद वर्मा अकिंचन जी, कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल जी, डॉ रीना मिश्रा, श्याम बिहारी लाल श्रीवास्तव जी, राजेश मृदुल जी, इं0 दानिका जी, शिवकुमार शर्मा जी, अभय कुमार श्रीवास्तव जी, राघवेन्द्र मिश्रा जी, बिन्दू चौहान जी, शशि पाण्डेय जी, सुभाष यादव जी, संतोष मिश्रा सोनी जी सहित तमाम साहित्यिक पुरोधा उपस्थित रहे।
       कार्यक्रम के अंत में श्री दिनेश गोरखपुरी जी के द्वारा उपस्थित सभी विद्वत मनीषियों एवं अतिथियों का आभार प्रकट किया।