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गोरखपुर में स्मार्ट मीटर घोटाले में जीनस कम्पनी को बचाने के लिए अभियंताओं को निलंबित करने से गुस्सा फूटा...

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गोरखपुर में स्मार्ट मीटर घोटाले में जीनस कम्पनी को बचाने के लिए अभियंताओं को निलंबित करने से गुस्सा फूटा

 लगातार आन्दोलन के 300 दिन पूरे होने पर 23 सितम्बर को लखनऊ सहित समस्त जनपदों में व्यापक विरोध प्रदर्शन की तैयारी

गोरखपुर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर ने गोरखपुर और बस्ती क्षेत्र में स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी मेसर्स जीनस द्वारा विभाग के द्वारा रिजेक्टेड लिस्ट को अभियंताओं की आईडी से छेड़छाड़ कर 17 सितम्बर की आधी रात में अप्रूव करने के मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। साथ ही मेसर्स जीनस द्वारा किए गए रीडिंग घोटाले को छुपाने के लिए गोरखपुर के पाँच अभियंताओं को निलंबित करने की निन्दा करते हुए कहा है कि इसकी जाँच कराई जाय तो बहुत बड़ा स्मार्ट मीटर घोटाला सामने आएगा । संघर्ष समिति ने निलम्बित अभियंताओं को तत्काल बहाल करने की मांग की है।

परीक्षण खण्ड के अभियंताओं द्वारा भी स्मार्ट मीटर घोटाले में मुख्य अभियंता गोरखपुर इ. आशुतोष श्रीवास्तव की जीनस कंपनी के साथ साठगांठ कर दोषियों को बचाने की साजिश रचे जाने का लिखित आरोप लगाते हुए भी उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

उच्च प्रबंधन एवं मुख्य अभियंता गोरखपुर द्वारा आज तक किसी भी प्रकार की जांच हेतु समिति भी गठित नहीं की है जो कि मेसर्स जीनस को बचाने का खुला प्रयास है। इस सम्बन्ध में जब मुख्य अभियंता गोरखपुर से संघर्ष समिति द्वारा वार्ता की गई तब उनके द्वारा सीधे सीधे धमकी देते हुए कहा गया कि आगे भी इसी तरह की अन्यायपूर्ण कार्यवाहियां होती रहेगी।

        पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में लगातार चल रहे आंदोलन के 300 दिन पूरा होने एवं अभियंताओं पर उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां करने के विरोध में 23 सितम्बर को संघर्ष समिति के आह्वान पर प्रदेश के समस्त जनपदों में बिजली कर्मी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर के पदाधिकारियों पुष्पेन्द्र सिंह, जीवेश नन्दन, जितेन्द्र कुमार गुप्त, सीबी उपाध्याय, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, करुणेश त्रिपाठी, राजकुमार सागर, विजय बहादुर सिंह एवं राकेश चौरसिया आदि ने आरोप लगाया है कि निजीकरण की प्रक्रिया में आल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन की पूरी दखलंदाजी चल रही है और निजीकरण का संशोधित आरएफपी डॉक्यूमेंट निजी घरानों की मिली भगत से डिस्कॉम एसोशिएशन द्वारा तैयार किया गया है जिससे पहले से तय निजी घरानों को लाभ पहुंचाया जा सके । संघर्ष समिति ने कहा यह बहुत ही गंभीर मामला है अतः उत्तर प्रदेश सरकार को किसी भी स्थिति में मंजूरी नहीं देनी चाहिए और निजीकरण का निर्णय निरस्त करना चाहिए। साथ ही अभियंताओं के खिलाफ हुए अन्याय से संज्ञानित होते हुए स्मार्ट मीटर घोटाला छुपाने वाले दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।