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लाइव आप तक न्यूज़ से सम्पादक की ख़ास ख़बर
“डीएम गायब, चौपाल औपचारिक! सुनवाई कम, दिखावा ज़्यादा…”
गोरखपुर जंगल कौड़िया ब्लॉक संसाधन केंद्र पर मंगलवार को लगी चौपाल एक बार फिर प्रशासनिक औपचारिकता का नमूना बन गई। तय कार्यक्रम के अनुसार सायं 4 बजे जिलाधिकारी को पहुँचना था, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) त्रिपुरारी शाश्वत करीब 5 बजे पहुँचे और महज़ 15–20 मिनट में चौपाल की औपचारिकता पूरी कर ली।
ग्रामीणों ने तंज़ कसते हुए कहा, “चौपाल तो लगी, पर सुनवाई कहीं खो गई। अधिकारियों ने कुर्सी संभाली, फोटो खिंचाई और निकल लिए।”
गाँववालों के मुताबिक यह “जनसुनवाई” नहीं बल्कि “जन-दिखाई” थी — जहाँ शिकायतें तो सुनी गईं, पर समाधान किसी नोटबुक के पन्ने में कैद रह गया।
“ग्रामीण बोले – चौपाल आई, उम्मीदें गईं”
कई ग्रामीणों ने बताया कि चौपाल की सूचना समय पर नहीं मिली। कुछ तो यह भी नहीं जानते थे कि अधिकारी आए और चले भी गए।
जो पहुँचे, उन्होंने पेयजल संकट, खराब सड़कें, आवास योजना में गड़बड़ी और राशन वितरण की अनियमितता जैसी शिकायतें रखीं, पर जवाब वही पुराना – “देखा जाएगा” और “कार्यवाही होगी”।
सीडीओ त्रिपुरारी शाश्वत ने कहा कि सभी शिकायतें दर्ज कर ली गई हैं और निस्तारण कराया जाएगा।
वहीं ग्रामीणों ने मांग की, कि चौपालों को केवल खानापूर्ति का साधन न बनाकर ज़मीनी समाधान का मंच बनाया जाए।
उनका कहना है कि “अगर सुनवाई ब्लॉक के दफ्तरों में नहीं, बल्कि गाँव की चौपालों में होगी, तो शायद समस्याएँ फाइलों में नहीं, ज़मीन पर सुलझेंगी।”
वही चौपाल मे लगे बैनर पर मुर्दा घर घोटाला मामले मे निलंबित सचिव प्रिया साहनी का नाम भी नजर आया, अब शायद मैडम कागज मे तो निलंबित हो गयी पर ब्लॉक के अधिकारी इस सदमे को स्वीकार नही कर पा रहे है, जिसके परिणाम स्वरूप यह गलती सामने आई।
