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एन आर आई दांपत्य ने महाकुंभ स्नान के लिए चुना गोरखपुर का रास्ता....

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एन आर आई दांपत्य ने महाकुंभ स्नान के लिए चुना गोरखपुर का रास्ता 

गोरखपुर महाकुंभ प्रयागराज में इतना प्रबल हो चुका है कि देश विदेश से सनातनी किसी ने किसी तरह से आकर संगम तट पर त्रिवेदी के गोद में डुबकी लगाना चाह रहे हैं।अब तक 60 करोड़ से ज्यादा लोगों ने संगम में डुबकी लगा चुके है।इतनी बृहद व्यवस्था के लिए पूज्य योगी आदित्य नाथ जी महाराज जी की जितनी बड़ाई की जाए वह काम ही होगी. वहाँ पर जितने लोगों ने डुबकी लगाई है वह कई देशों की आबादी से ज्यादा है।इतने विशाल जन समुदाय को एक साथ जोड़कर महाकुंभ में डुबकी लगाना आसान काम नहीं है।अमेरिका में एनआरआई पुत्र के साथ रहने वाले श्रीमती सुनीता तंवर तथा श्री राम विलास जी जिनकी ट्रेन निरस्त हो जाने की वजह से उनके सामने प्रयागराज जाने के लिए कोई साधन नहीं दिख रहा था।संगम में डुबकी लगाने के लिए इन्होंने गोरखपुर का रास्ता चुना बैंगलोर से हवाई जहाज द्वारा गोरखपुर आए और गोरखपुर से टैक्सी करके प्रयागराज जा रहे हैं। इन सभी कामों में इनका सहयोग शाही ग्लोबल हॉस्पिटल के निदेशक डॉक्टर शिव शंकर शाही ने किया। संगत तट पर अब तक शहर के सैकड़ो चिकित्सकों तथा आम लोगों को संगम में डुबकी लगवा चुके डॉक्टर शिव शंकर शाही ने बताया कि इस तरह का काम करने से मुझे अपार संतुष्टि मिलती है।नेतृकुम की सफलता से लेकर संगम में डुबकी लगवाने तक का सफर डॉक्टर शिव शंकर शाही को बहुत आनंदित करता है।विश्व का सबसे बड़ा स्वास्थ्य मेला नेत्र कुम्भ तथा विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल प्रयागराज में जिस तरह से सनातनियों ने बढ़चर के हिस्सा लिया है  उससे यह सिद्ध होता है कि आज भी हम सनातनी एक हैं हमें जात-पात उच् नीच क्षेत्रवाद देशवाद किसी तरह से विभाजित नहीं किया जा सकता है इसका उदाहरण अमेरिका से आए एनआरआई खुद है. ऐसा लग रहा है की संगम घाट सनातियों के लिए छोटा पड़ गया है अभी भी करोड़ों की संख्या में लोग संगम में डुबकी लगाना चाहते हैं लेकिन ट्रेन बस हवाई जहाज में सीमित संख्या होने की वजह से और संगम घाट का क्षेत्रफल जितना जनसंख्या सहन कर सकता है उसको ध्यान में रखते हुए वह आने वाले लोगों की व्यवस्था की गई है बहुत से सनातनी कुंभ के दौरान संगम में डुबकी नहीं लग पा रहे हैं उन सभी लोगों से जो कुंभ के दौरान डुबकी नहीं लगा  पाए हैं उनसे मेरा निवेदन है कि घर पर ही गंगाजल डालकर स्नान कर लें और बाद में कभी भी जाकर संगम में डुबकी लगाकर मां गंगा मां सरस्वती मैन जमुना से माफी मांग ले तो यह उचित होगा। यह कदापि संभव नहीं है कि संगम पर अब और संख्या बढ़ाई जाए नही तो सनातनियों के जीवन के लिए खतरा हो सकता है इसलिए मेरा विनम्र निवेदन है की जो संगम में आराम से जा सकते हैं वह जाए, जो बुजुर्ग हैं बीमार हैं कमजोर हैं नहीं जा सकते हैं वह बाद में जाकर डुबकी लगा लगा लेंगे।