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योग गुरु परमहंस योगानंद की जन्मस्थली का निर्माण अधर में 19 करोड़ के बंदरबांट के बाद भी नही शुरू हो सका काम भूमि के असली मालिक के वारिस ने ली न्यायालय की शरण

गोरखपुर लगभग 19 करोड़ रुपया खर्च करने के बाद भी पूरी दुनिया को योग का पाठ पढ़ाने वाले परमहंस योगानंद की जन्मस्थली को नए सिरे से बनाने की योजना पर ग्रहण लगा हुआ है। 

योगी सरकार द्वारा योगानन्द जी की जन्मस्थली को संजोने और नए कलेवर में मन्दिर से लेकर योग सेंटर और म्यूज़ियम निर्माण की तैयारी पूरी हो चुकी है। कोतवाली से सटे उनके जन्मस्थान की भूमि व भवन का अधिग्रहण लगभग कर लिया गया है, परन्तु पूरी रूप रेखा बन जाने के बाद भी काम शुरू नही हो सका है। 

योग गुरु योगानन्द जन्मस्थली के लिए आराजी नम्बर 70, 71, 72 और 73 का अधिग्रहण किया जाना था । राजस्व अभिलेखों में उक्त भूमि के खेवटदार जव्वाद अली शाह हैं। 

सूत्रों की माने तो सिर्फ अधिग्रहण के नाम पर 19 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं। रजिस्ट्री की कार्यवाही भी पूरी हो चुकी है । 

इस बीच खबर ये भी है कि जन्मस्थली की भूमि के खेवटदार जव्वाद अली शाह के वारिस अदनान फर्रुख अली शाह द्वारा उचित मुआवजे पर सहमति न बन पाने के कारण अदालत का रुख कर लिया गया है, जिससे अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने पर ग्रहण लग गया है।

वहीं दूसरी तरफ क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी का कहना है कि योग भवन के निर्माण का खाका तैयार हो चुका है। डीपीआर स्वीकृति के लिए भेजा जा चुका है, स्वीकृति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा। भूमि सम्बन्धी जानकारी के लिए उन्होंने तहसील से सम्पर्क करने की बात कही। 

जबकि पहले मिली जानकारी के अनुसार भूमि तल सहित चार तल के भवन के निर्माण के लिए 31 करोड़ रुपये की स्वीकृति शासन से प्राप्त होने की बात कही जा रही थी और फरवरी के पहले सप्ताह से निर्माण कार्य शुरू करा देने की पर्यटन विभाग की तैयारी थी।

आपको बताते चलें कि जन्मस्थली के भवन को लेकर शुरू से विवाद की स्थिति बनी थी । मकान मालिक अच्छन बाबू और उनके पुत्र अलाउद्दीन उर्फ शेखू नवाब का कहना था कि वह जन्मस्थली के असली मालिक हैं जबकि जन्मस्थली वाले मकान में मिर्ज़ा समीउल्लाह बेग के वारिसान रहते थे लेकिन राजस्व अभिलेखों पूरी भूमि के मालिक जव्वाद अली शाह हैं।

बहरहाल सदर तहसील के जिम्मेदारों का ये नायाब कारनामा कहा जायेगा कि  खेवटदार से एनओसी लिए बिना ही भूमि सहित मकान की रजिस्ट्री करा ली गई और मुआवज़े की लगभग 19 करोड़ की रकम का अच्छन बाबू और मिर्ज़ा समीउल्लाह बेग के वारिसों में मनमाने ढंग से बंदरबांट कर दिया गया।