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थाईलैंड में गूँजा भारत का परचम गोरखपुर के विवेक और महाराजगंज के समीर ने इंटरनेशनल बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में जीता गोल्ड

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थाईलैंड में गूँजा भारत का परचम गोरखपुर के विवेक और महाराजगंज के समीर ने इंटरनेशनल बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में जीता गोल्ड

गोरखपुर / महाराजगंज2 भारत ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी ताकत और प्रतिभा का लोहा मनवाया है। थाईलैंड के बैंकॉक में आयोजित आईएफबीबी प्रो लीग एनपीसी वर्ल्ड वाइड इंटरनेशनल बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में गोरखपुर के विवेक और महाराजगंज के समीर ने स्वर्ण पदक जीतकर देश का परचम विश्व पटल पर लहरा दिया। यह उपलब्धि न केवल पूर्वांचल बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय बन गई है।

दोनों युवा एथलीटों की इस असाधारण सफलता के पीछे उनके गुरु माज़ खान की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिन्होंने कड़ी मेहनत, कठोर प्रशिक्षण और पूर्ण समर्पण के साथ अपने शिष्यों को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के अनुरूप तैयार किया।

हजारों प्रतिभागियों में छाए भारत के दोनों चैम्पियन-

इस वैश्विक प्रतियोगिता में दुनिया के कई देशों से हजारों बॉडी बिल्डर्स ने हिस्सा लिया था। भारी प्रतिस्पर्धा, कठोर जजमेंट और ऊँचे मानकों के बीच विवेक और समीर ने अपनी सटीक बॉडी कट, शानदार प्रेजेंटेशन, शारीरिक क्षमता और अनुशासन से सभी को पीछे छोड़ दिया।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनका चमकना इस बात का प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन, अथक परिश्रम और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कोई भी बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है।

गोरखपुर का पहला इंटरनेशनल गोल्ड, मेरे गुरु की देन— विवेक

गोल्ड मेडल जीतने के बाद भावुक विवेक ने कहा—

“यह गोरखपुर का पहला इंटरनेशनल गोल्ड मेडल है। यह उपलब्धि पूरी तरह मेरे गुरु माज़ खान की देन है। उन्होंने मुझे गोरखपुर से बैंकॉक तक पहुँचाया। उनका लक्ष्य था कि जब लौटें तो गोल्ड लेकर ही लौटें— और वही हुआ।”

विवेक ने बताया कि उनके गुरु ने प्रतियोगिता की एक-एक बारीकी सिखाई और यह सुनिश्चित किया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका प्रदर्शन किसी भी एथलीट से कम न हो।

माज़ सर ने बच्चों की तरह तैयार किया— समीर

महाराजगंज के समीर भी अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने गुरु माज़ खान को देते हैं। उन्होंने कहा—

“माज़ सर ने हमें अपने बच्चों की तरह तैयार किया। अंतरराष्ट्रीय मंच पर लोग उनकी ट्रेनिंग देखकर हैरान थे। सभी कह रहे थे कि भारत में ऐसा ज्ञान और कोच मिलना मुश्किल है।”

समीर ने बताया कि प्रतियोगिता से पहले माज़ सर लगातार दो रात नहीं सोए। वे अपनी टीम की डाइट, शेप, कट्स और कार्ब-लोडिंग में लगे रहे, ताकि दोनों खिलाड़ी बेहतरीन प्रदर्शन कर सकें। उनका यह समर्पण ही था कि भारत दो गोल्ड मेडल लेकर लौटा।

पूर्वांचल का नाम किया रोशन-

विवेक और समीर की इस ऐतिहासिक उपलब्धि से न केवल उनके परिवार और जिले में उत्साह का माहौल बना है, बल्कि पूरे पूर्वांचल में खुशी की लहर है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यह सफलता आने वाले समय में गोरखपुर, महाराजगंज और आसपास के जिलों के युवाओं को फिटनेस और बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने के लिए बड़ी प्रेरणा देगी।

भारत को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान-

यह उपलब्धि भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर में बॉडी बिल्डिंग बेहद प्रतिस्पर्धी खेल माना जाता है। यहाँ जरा सी कमी भी खिलाड़ी को खिताब से दूर कर सकती है। लेकिन विवेक और समीर ने बिना किसी संदेह के अपने वर्गों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और भारत को सर्वोच्च स्थान दिलाया।

विशेषज्ञों के अनुसार यह जीत दिखाती है कि उत्तर भारत, खासकर पूर्वांचल के खिलाड़ी भी विश्व स्तर पर किसी से कम नहीं।

गुरु माज़ खान की मेहनत का मिला फल-

माज़ खान पिछले कई वर्षों से फिटनेस और बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में प्रतिभाओं को तराशने का कार्य कर रहे हैं। उनकी ट्रेनिंग पद्धति, सख्ती और वैज्ञानिक ढंग से तैयार की गई डाइट प्लानिंग के कारण आज कई युवा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बना रहे हैं।

विवेक और समीर की जीत ने एक बार फिर साबित किया कि अगर सही मार्गदर्शन मिले तो छोटे शहरों के खिलाड़ी भी वैश्विक स्तर पर स्वर्णिम इतिहास रच सकते हैं।

भारत के लिए गौरवपूर्ण क्षण-

थाईलैंड में गूँजा भारत का परचम— और उसके केंद्र में थे गोरखपुर और महाराजगंज के दो युवा, जिनकी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास ने देश का नाम शीर्ष पर पहुँचाया।

इन दोनों चैम्पियनों ने साबित कर दिया कि सपने चाहे जितने बड़े हों, यदि उन्हें पूरा करने का जज्बा और सही दिशा हो, तो दुनिया की कोई शक्ति उन्हें रोक नहीं सकती।